क्या सफेद दाग (विटिलगो) हमेशा के लिए होते हैं? उनका उपचार कैसा किया जा सकता है?

क्या सफेद दाग (विटिलगो) हमेशा के लिए होते हैं? उनका उपचार कैसा किया जा सकता है?

विटिलिगो

सफेद दाग एक पिग्मेन्टेशन संबंधी विकार है क्योंकि यह त्वचा को रंग प्रदान करने वाली कोशिकाओं/पिगमेन्ट बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है और इसके फलस्वरूप त्वचा दूधिया सफेद चकत्ते बनाने लगते हैं. 10% भारतीय सफेद दाग की समस्या से पीड़ित हैं. यह समस्या पुरूष व स्त्री तथा सभी उम्र के लोगों को समान रूप से प्रभावित कर सकती है.

सफेद दाग के पैदा होने का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन जेनेटिक्स, भावनात्मक आघात जैसे कि तनाव, उत्तेजना, डर जैसे घटक संभवत: इसको भड़का सकते हैं.

सफेद दाग का संबध थाइरॉयड, डायबिटीज या किसी अन्य ऑटो- इम्यून रोग से हो सकता है.

सफेद दाग में त्वचा की पिग्मेट कोशिकाएं (मेलानोसाइट), जो कि त्वचा और बालों को मेलानिन (त्वचा पिग्मेन्टेशन) की रचना करके रंग प्रदान करते हैं, नष्ट हो जाती हैं. मेलानिन सूरज द्वारा उत्पन्न किए जाने वाली यूवी किरणों के हानिकारक प्रभावों से त्वचा की रक्षा करते हैं. सफेद दाग शरीर के किसी भी हिस्से में पैदा हो सकते हैं.

सफेद दाग कितने पक्के होंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे शरीर के किस हिस्से पर हैं और किस हद तक डी-पिग्मेन्टेशन हुआ है. हमारे विशेेेषज्ञ रोग ग्रस्त हिस्से को देखने व उसकी जांच-पड़ताल करने के बाद रोग की गंभीरता के बारे में बता सकते हैं.

सफेद दाग का उपचार कैसे करें?

सफेद दाग का उपचार करने के कई तरीके हैं. इसका उपचार पारंपरिक विधियों, कॉस्मैटिक विधियों तथा आयुर्वेदिक विधियों से किया जा सकता है हर प्रकार के उपचार की अपनी विशेेषताएं और कमियां हैं. होम्योपैथी से सफेद दाग के उपचार की एक असरदार विधि है जिसके निम्नलिखित फायदे हैं:

1.     होम्योपैथिक औषधियां कुदरती होती हैं और इनके कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होते हैं, जबकि पारंपरिक दवाइयां लेने से तेज जलन पैदा हो सकती है तथा छाले पड़ सकते हैं.

2.     होम्योपैथिक दवाइयों से दीर्घकालीन असर मिलते हैं, जबकि पारंपरिक औषधियां अल्पकालिक परिणाम दिलाती है.

3.     होम्योपैथी औषधि किसी व्यक्ति की रोग दशा के इतिहास के आधार पर दी जाती है, ताकि उसके मूल कारण का प्रभावी तरीके से उपचार किया जा सके, जिससे सफेद दाग के उपचार में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.

4.     अगर रोग की रोकथाम नहीं की जाती है, तो यह दोबारा उभर सकता है. होम्योपैथी मेलानिन को नष्ट होने से बचाती है, जिससे यह रोग फिर से नहीं उभरता है.

5.     होम्योपैथी औषधि पुन: पिग्मेन्टेशन को उत्तेजित करने में मदद करती है और क्षतिगस्त हुई रोग प्रतिरोधकता को सुधारती है.

6.     अगर रोग की शुरूआती अवस्था में होम्योपैथी को उपचार विकल्प के रूप में अपनाया जाता है तो भविष्य में रोग पर पूरी तरह नियंत्रण पाना और ज्यादा आसान हो जाता है.

7.     त्वचा में किसी विकार को आमतौर पर किसी सायकोसोमाटिक फैक्टर का कारण माना जाता है. होम्योपैथी इस पर निर्भरता या लत के बिना इसकल उपचार बहुत असरदार तरीके से कर सकती है.

8.     होम्योपैथी स्वास्थ्य से संबंधित जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करती है.

SAURABH PAL
Authored By

Dr. SAURABH PAL

MD

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