ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार (ए.डी.एच.डी.) - इलाज़

ए.डी.एच.डी से पीड़ित बच्चों पर किये गए एक अध्ययन में पता चला कि जिन बच्चों ने पारंपरिक इलाज़ के अलावा होमियोपैथी का इलाज़ भी करवाया था उनकी स्थिति में सिर्फ पारंपरिक इलाज करवाने वाले बच्चों की तुलना में काफ़ी सुधार आया। इसके अलावा होम्योपैथी ग्रुप में भी इलाज़ के कम से कम एक साल के बाद लगातार सुधार देखा गया।

स्विट्जरलैंड में किये गए एक अध्ययन में एडीडी/एडीएचडी के रोग निदान में 8.3 वर्ष की औसत उम्र के 115 बच्चों (92 लड़कों; 23 लड़कियों) का मूल्यांकन किया गया। इन बच्चों का इलाज़ व्यक्तिगत रूप से चुनी गई होमियोपैथिक दवाइयों से किया गया जबकि कुछ बच्चों का इलाज़ एलोपैथी की दवाइयों से किया गया। 3.5 महीनों के औसत समय के इलाज के बाद 75% बच्चों ने 73% सुधार की दर से होमियोपैथी के लिए अनुकूल प्रतिक्रिया। एलोपैथी से इलाज कराने वाले लगभग 22% बच्चों में 65% सुधार की दर देखी गई।

होमियोपैथी से लाभ

पारंपरिक इलाज़ पारंपरिक इलाज़ के संभावित दुष्प्रभाव* होमियोपैथी के फ़ायदे
मस्तिष्क उत्तेजक (ये दवाइयां मस्तिष्क के सर्किट को सक्रिय बनाती हैं जिससे चौकस रहने और ध्यान केंद्रित करने के व्यवहार को समर्थन मिलता है) भूख कम होना नींद की परेशानियां टिक्स होने की संभावना (अचानक बार बार दोहराई जाने वाली हरकत या आवाज़) कोई दुष्प्रभाव नहीं
बेहतर व्यक्तित्व के लक्षण

डॉ. बत्रा’ज™ क्यों?

डॉ. बत्रा’ज™ में, हमारे पास चिकित्सकों की ऐसी टीम मौज़ूद है जिसमें वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ शामिल हैं जो ए.डी.एच.डी. से पीड़ित बच्चों के इलाज़ में गहनता से काम करते हैं। प्रमाणित होमियोपैथिक दवाइयां बच्चों के विकास और व्यवहार कौशल में सुधार करने वाली सिद्ध हुई हैं।

हमारे इलाज़ में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

बच्चों में ए.डी.एच.डी. के मूल कारण को समझना, अर्थात:

  • भावनात्मक असुरक्षा;
  • बाल शोषण;
  • उपेक्षित होने की भावना; और
  • ज़रूरत से ज़्यादा लाड़-प्यार करना।

समस्या की शुरूआत के कारणों की पहचान करना जैसे:

  • सामाजिक प्रभाव;
  • खाद्य पदार्थों के प्रेज़रवेटिव का सेवन; और
  • परिवार में आचरण का तरीका।

मूल कारण और समस्या की शुरूआत के कारणों को समझने के बाद हम प्राकृतिक होमियोपैथी दवाइयां देते हैं, जिनके निम्नलिखित प्रभाव शामिल हैं:

  • बेचैनी, अधीरता और आक्रामकता में कमी;
  • दवाइयां आसानी से ली जा सकती हैं;
  • इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है;
  • आत्मविश्वास और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार
  • ध्यान देने की अवधि बढ़ना; और
  • जीवन स्तर में सुधार।

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