ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार (ए.डी.एच.डी.) - लक्षण
ए.डी.एच.डी. के लक्षणों को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- बेपरवाही या ध्यानहीनता;
- अतिसक्रियता और
- आवेगशीलता
बेपरवाही या ध्यानहीनता
बच्चों में देखे गए बेपरवाही के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- leaving tasks half-way, such as not completing the homework or a painting;
- कार्यों को बीच में छोड़ देना, जैसे गृहकार्य या पेंटिंग को पूरा नहीं करना;
- अक्सर एक कार्य को अधूरा छोड़कर दूसरा कार्य करना;
- विवरण पर ध्यान देने में कठिनाई;
- ध्यान की कमी होना;
- थोड़े से शोर या घटनाओं से भी आसानी से विचलित हो जाना जो साधारणत: दूसरे अनदेखा करते हैं;
- लापरवाह गलतियां करने की प्रवृति; और
- दूसरों का कहा न सुनना या सामाजिक नियमों को न मानना।
अति सक्रियता
अति सक्रिय बच्चे निम्नलिखित लक्षण प्रदर्शित करते हैं:
- एक जगह पर ज़्यादा देर तक बैठ नहीं सकते हैं;
- बेचैनी; घर में अक्सर उछल-कूद करना, उस समय भी जब ऐसा करना सही नहीं है;
- शांति से खेलने में परेशानी होना;
- अत्यधिक बातचीत करना;
- एडीएचडी से पीड़ित नन्हें बच्चे या प्री-स्कूल के बच्चे लगातार इधर-उधर घूमते रहते हैं, फर्नीचरों पर उछल-कूद करते हैं; और
- ऐसी सामूहिक गतिविधियों में हिस्सा लेने में परेशानी होती है जहां स्थिर बैठना पड़ता है।
आवेगशीलता
- उतावलापन;
- बात करने के लिए इंतजार करने या जवाब देने में परेशानी;
- किसी का सवाल पूरा होने से पहले ही उसका ज़वाब देने लगना;
- बात करते समय दूसरों को लगातार रोका-टोकी करना;
- परिणामों के बारे में बिना सोचे जोखिम भरे काम करने को तत्पर रहना जिससे दुर्घटना होने और चोट लगने की संभावना बनी रहती है।
रोग निदान
यद्यपि ए.डी.एच.डी. की पहचान चिकित्सकीय संकेतों और लक्षणों तथा माता–पिता, अध्यापकों, देखभाल करने वालों की प्रतिक्रिया के आधार पर आसानी से की जा सकती है, रोग निदान की पुष्टि करने के लिए चिकित्सकों द्वारा निम्नलिखित तरीकों का सुझाव दिया जा सकता है।
- बच्चों और वयस्कों में ए.डी.एच.डी. के रोग निदान के लिए कोई कोई भी परीक्षण नहीं किया जा सकता है। इसका निदान तभी हो सकता है जब किसी व्यक्ति में कुछ या सारे रोग लक्षणों को नियमित रूप से छः महीनों से ज़्यादा समय तक देखा गया हो।
- वेंडरबिल्ट असेसमेंट स्केल आगे ए.डी.एच.डी. की पुष्टि के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक परीक्षण है। यह 55 प्रश्नों का एक मूल्यांकन उपकरण है जो ए.डी.एच.डी के लक्षणों की समीक्षा करता है। इसमें भी पुष्टि के लिए अन्य परिस्थितियों की जांच की जाती है।
- बच्चों के लिए आचरण मूल्यांकन प्रणाली एक ऐसा परीक्षण है जिसमें अतिसक्रियता, आक्रामकता और व्यवहार संबंधी समस्याओं पर ध्यान दिया जाता है। इसमें चिंता, निराशा, ध्यान देने और सीखने की समस्याओं तथा कुछ आवश्यक योग्यताओं के अभाव की भी जांच की जाती है।
- बच्चे के व्यवहार की जांच सूची / शिक्षक रिपोर्ट फॉर्म वह पैमाना है जो बच्चों की शारीरिक शिकायतों और आक्रामक व्यवहार का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करके एडीएचडी का पता लगाने में मदद करता है। इसमें बच्चों के व्यवहार के संबंध में उनके अध्यापकों या पड़ोसियों की शिकायतों को भी शामिल किया जाता है।
समस्याएं
स्वास्थ्य संबंधी किसी भी परेशानी की तरह ए.डी.एच.डी. की भी अपनी समस्याएं हो सकती हैं। ये समस्याएं कक्षा में होने वाली मुसीबतों से शुरू हो सकती हैं लेकिन इनमें दुर्घटना और चोट लगने की संभावना, साथियों के साथ मेलजोल में परेशानी और शराब या नशीली दवाओं के सेवन की संभावनाएं भी शामिल हैं। ए.डी.एच.डी. के साथ जुड़ी सबसे सामान्य समस्याएं इस प्रकार हैं:
स्कूल में कठिनाई:
- बच्चे का शैक्षणिक प्रदर्शन खराब होता है।
- बच्चे को अनुचित रूप से ‘मूर्ख’ या ‘पढ़ाने के काबिल नहीं’ माना जा सकता है — एक ऐसा निर्णय जो बच्चे के लिए आगे की शिक्षा को असफल बना सकता है।
- दुर्भाग्य से, ए.डी.एच.डी. से पीड़ित बच्चों की हाई स्कूल में पढ़ाई छोड़ने की दर सामान्य बच्चों की तुलना में दोगुनी होती है।
- ए.डी.एच.डी. से पीड़ित बच्चों में अपोजिशनल डिफायंट डिसऑर्डर (ओडीडी) विकसित होने की संभावना अधिक रहती है जो प्राधिकार से जुड़े लोगों के प्रति एक विद्वेषपूर्ण और असभ्य आचरण करने की प्रवृत्ति है।
- ए.डी.एच.डी. से पीड़ित स्कूली बच्चों को पढ़ने-लिखने, वर्तनी करने या गणित में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक परिस्थितियों में कठिनाई:
- ए.डी.एच.डी. से पीड़ित बच्चों में चिंता या निराशा होना अधिक सामान्य है।
- चिंता ख़ास तौर पर देखी जाती है; यह दूसरों के साथ होने, कामकाज करने और खेलने को लेकर आशंका और घबराहट होने और इसे बढ़ाने का भी कारण बन सकती है।
अन्य असाधारण समस्याएं:
ए.डी.एच.डी. इनमें से कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं करती है, मगर इस तरह की परेशानियां आम तौर पर ए.डी.एच.डी. से पीड़ित लोगों में देखी जाती हैं:
- बाईपोलर डिसऑर्डर: यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें मनोदशा में तीव्र उतार-चढ़ाव और ऊर्जा के स्तरों में परिर्वतन होता है।
- आचरण की समस्या: आचरण की समस्या से पीड़ित बच्चों में बार-बार झूठ बोलने, चोरी करने, दूसरे लोगों तथा जानवरों के साथ निर्दयता से या हिंसक तरीके से बर्ताव करने या संपत्ति को नष्ट करने की प्रवृत्ति देखी जा सकी है।
- बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर: यह एक भावनात्मक समस्या है जिसमें मनोदशा में तीव्र उतार-चढ़ाव, भावनात्मक अस्थिरता और मेलजोल में कठिनाई देखी जाती है।
- टूरेट सिन्ड्रोम: यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें बच्चे बार-बार दोहराते रहते हैं, और मुंह से अनैच्छिक आवाज़ें निकालने तथा मोटर टिक्स के लक्षण देखे जाते हैं।
- ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर: यह एक चिंता संबंधी विकार है जिसकी पहचान आवेगशील, पुनरावर्ती विचारों और क्रियाओं से होती है, जैसे एक विशेष क्रम में बत्तियों को जलाना या बुझाना, बार-बार हाथ धोने का जुनून सवार रहना आदि।
- निराशा (अवसाद): ऐसी मानसिक स्थिति जिसकी पहचान उदासी और अनिच्छा की तीव्र अनुभूति से होती है।
- चिंता संबंधी विकार: ऐसी स्थिति जिसमें उदासी, घबराहट या डर की तीव्र अनुभूति होती है, और कभी-कभी भय या आतंक के दौरे भी आते हैं।