बचपन का मोटापा - लक्षण
बचपन के मोटापे के लक्षण इस प्रकार हैं:
- बढ़ा हुआ वजन यानी उस उम्र के लिए सामान्य वजन से कम से कम 20% अधिक;
- बढ़ा हुआ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), जिससे सामान्य से अधिक वसा सामग्री का पता चलता है;
- खानपान की बुरी आदतें जिनमें आम तौर पर बहुत अधिक खाना और विलासितापूर्ण खानपान शामिल हैं; और
- कोई शारीरिक व्यायाम करने की इच्छा का अभाव।
समस्याएं
शारीरिक समस्याएं
उच्च कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप: खानपान की बुरी आदतों से बच्चे में उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रोल की समस्या विकसित हो सकती है। यह बाद के जीवन में दिल के दौरे और स्ट्रोक्स की समस्या को भी जन्म दे सकती है।
डायबिटीज: टाइप 2 डायबिटीज सामान्यतः मोटापे से जुड़ा होता है। ऐसे बच्चे जो पर्याप्त व्यायाम नहीं करते हैं, उनमें उम्र बढ़ने के साथ डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम: यह उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च ट्राइग्लिसराइड और कम एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रोल) का कारण बनता है।
अस्थमा: अधिक वजन वाले बच्चों में अस्थमा, नींद न आने की समस्या, नींद में रुक-रुक कर सांस चलने और बचपन के मोटापे से जुड़े अन्य विकारों के होने की अधिक संभावना रहती है।
शीघ्र परिपक्वता या मासिक धर्म: बचपन का मोटापा हार्मोन संबंधी असंतुलन का कारण बन सकता है जिससे शीघ्र परिपक्वता की शुरुआत हो जाती है।
भावनात्मक समस्याएं
हम अक्सर ऐसे बच्चों में भावनात्मक समस्याओं के महत्व को भूल जाते हैं जो बचपन के मोटापे का शिकार होते हैं। उनमें से कुछ बातों का उल्लेख नीचे किया गया है।
- आत्मसम्मान में कमी: मोटे बच्चे आत्मसमान में कमी के शिकार हो सकते हैं।
- निराशा: मोटे बच्चों में आत्मसमान में कमी के कारण निराशा आ सकती है। इस तरह के बच्चे सामान्य गतिविधियों में दिलचस्पी खो देते हैं और अन्य बच्चों के साथ खेलने या अपने आयु वर्ग के बच्चों के साथ सामाजिक संपर्क करने से बचते हैं।
- आचरण संबंधी या सीखने की समस्याएं: अधिक वजन वाले बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक चिंता और कमजोर सामाजिक कौशल देखा जाता है। यह स्कूल में या घर पर आचरण और सीखने संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है।