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रजोनिवृत्ति - लक्षण

रजोनिवृत्ति के लक्षण कभी-कभी बहुत ही निराशाजनक होते हैं। महिला के शरीर पर होने वाले इन हार्मोनों के कई तरह के प्रभावों के कारण लक्षणों की एक व्यापक श्रेणी होती है।

मासिक धर्म चक्रमें बदलाव: महिला की माहवारी अनियमित हो सकती है। उसे कम या अधिकरक्तस्राव हो सकता है। माहवारी की अवधि लंबी या छोटी हो सकती है। यदि वह गर्भवती नहीं है तो एक चूकी हुई माहवारी रजोनिवृत्ति की शुरुआत का संकेत देती है।

तेज गर्मी लगना: कई महिलाओं को रजोनिवृत्ति के मुख्य लक्षण के रूप में तेज गर्मी का अनुभव होता हैं। तेज गर्मी लगना उष्णता का एक आकस्मिक एहसास होता है जो शरीर के ऊपरी हिस्से में या हर जगह महसूस होता हैं। आपका चेहरा और गर्दन लाल हो सकता है, तथा आपको पसीने से तर या उत्तेजित महसूस हो सकता है। अलग-अलग व्यक्ति में इसकी तीव्रता भिन्न हो सकती है। यह आमतौर पर 30 सेकंड से लेकर 10 मिनट तक रहता है।

ज्यादातर महिलाओं को उनकी अंतिम माहवारी के बाद एक या दो सालों तकतेज गर्मी का अनुभव होता है। कुछ महिलाओं में यह लंबे समय के लिए रहता है, लेकिन समय के साथ तेज गर्मी लगने की तीव्रता कम हो जाती है।

यौन संबंध बनाने संभोग के दौरान योनी में सूखापन और दर्द: रजोनिवृत्ति के चरण के दौरान महिलाओं को योनी में सूखेपन का अनुभव हो सकता है। इसके लक्षणों में योनिमुख के आसपास खुजलाहट होने के अतिरिक्त चुभन या जलन भी शामिल हैं। योनी में सूखेपन के कारण यौन संबंध बनाना दर्दनाक हो सकता है और थोड़ा खून भी बह सकता है या उन्हें बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।

अनिद्रा या नींद की समस्या: रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को नींद आने में मुश्किल या लंबे समय तक सोने में परेशानी हो सकती है।

बार-बार पेशाब लगना या पेशाब पर नियंत्रण नहीं होना: महिला के मूत्राशय का नियंत्रण कम हो जाता है, और मूत्राशय भरा हुआ नहीं होने पर भी उसे लगातार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है, या पेशाब करने में दर्द हो सकता है। रजोनिवृत्ति के दौरान योनी और मूत्रमार्ग के ऊतकों का लचीलापन कम हो जाता है, और भीतरी सतह पतली हो जाती है।

मूत्र मार्ग में संक्रमण: रजोनिवृत्ति के दौरान महिला को मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। यदि उसे लगातार पेशाब करने की तीव्र इच्छा या पेशाब करते समय जलन महसूस होती है तो उसे किसी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

कामेच्छा में कमी: कम एस्ट्रोजन के कारण हुए शारीरिक परिवर्तनों की वजह से रजोनिवृत्ति के दौरान महिला को सहवास में कोई दिलचस्पी महसूस नहीं हो सकती हैं। इस तरह के बदलाव भगशेफ की प्रतिक्रिया में देरी होने से लेकर योनीमें सूखेपन पर कामोन्माद की प्रतिक्रिया धीमी होने या प्रतिक्रिया नहीं होने तक हो सकते हैं।

निराशा और मनोदशा में तेज उतार-चढ़ाव: उन्हें चिड़चिड़ापन, निराशा एवं मनोदशा में तेज उतार-चढ़ाव की अनुभूति हो सकती है, ऐसे में अक्सर थोड़े समय में अधिक उत्तेजना से लेकर भारी निराशा तक महसूस हो सकती है।

त्वचा: रजोनिवृत्ति के दौरान त्वचा शुष्क और पतली हो जाती है। यह योनी और मूत्र मार्ग के पास की त्वचा के लचीलेपन और चिकनाई को भी प्रभावित करती है।

बाल:रजोनिवृत्ति के सबसे आम लक्षणों में से एक बालों का झड़ना होता है। कई महिलाओं को रजोनिवृत्ति के कुछ सालों पहले तथा बाद में बाल झड़ने का अनुभव होता है। यह एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण होता है जिसकी वजह से बाल झड़ने और पतले होने लगते हैं,साथ ही बाल नाजुकऔर सूखे भी महसूस हो सकते हैं।

रोगका निदान:

जब किसी महिला को रजोनिवृत्ति की शुरूआत होती है, तो उसे इसका पता होने की बहुत अधिक संभावना रहती है। भले ही ज्यादातर महिलाएं जीवन के इस बदलाव की उम्मीद रखती हैं और लक्षणों को पहचानती हैं, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए इन लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है। डॉ. बत्रा®में हमारे चिकित्सक महिलाओं को यह समझने में मदद करते हैं कि उनकी रजोनिवृत्ति की शुरूआत हो रही है या नहीं। चिकित्सक उनके लक्षणों (जैसे तेज गर्मी लगना, धब्बे आना, मनोदशा में बदलाव, सोने में परेशानी, यौन समस्याएं आदि) के बारे में पूछते है, उनके मासिक धर्म चक्र को समझते हैं और कुछ चिकित्सकीय परीक्षण करसकते हैं। आमतौर पर रजोनिवृत्ति का पता लगाने के लिए किसी भी जाँच की जरूरत नहीं होती है।

फिर भी, कुछ परिस्थितियों में हमारे चिकित्सक महिला के हार्मोन के स्तरों की जाँच करने के लिए रक्त परीक्षण की सलाह दे सकते हैं। हार्मोन के स्तरों अर्थात, फॉलिकल-उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच) और एस्ट्रोजन की जाँच की जाएगी क्योंकि रजोनिवृत्ति के दौरान एफएसएच का स्तर बढ़ता है और एस्ट्राडियोल का स्तर कम होता है।

थायराइड-उत्तेजक हार्मोन जैसे अन्य हार्मोन की भी जाँच की जा सकती है क्योंकि थायराइड की कार्यप्रणाली में कमी (हाइपोथायरायडिज्म) आने के कारण रजोनिवृत्ति के समान लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

जटिलताएं:

रजोनिवृत्ति के बाद, कुछ चिकित्सीय समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है जैसे:

हृदय और रक्त वाहिका (हृदवाहिनी) रोग: एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आने से हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण है। नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ आहार खाना और सामान्य वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। हमारे चिकित्सक हृदय की सुरक्षा कैसे करें इसकी सलाह देते हैं, अर्थात कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर बहुत अधिक होने पर इसे कैसे कम करें।

ऑस्टियोपोरोसिस: यह समस्या हड्डियों को नाजुक और कमजोर बना देती है जिसके कारण हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। रजोनिवृत्ति के बाद के कुछ शुरुआती वर्षों में महिला के हड्डियों का घनत्व तेज गती से घट सकता है, जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस काखतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से पीड़ित महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद विशेष रूप से कूल्हों, कलाइयों और रीढ़ की हड्डी में टूट-फूट होने की संभावना अधिक हो जाती है।

वजन बढ़ना:कई महिलाओं में रजोनिवृत्ति संबंधी परिवर्तन के दौरान तथा रजोनिवृत्ति के बाद चयापचय की प्रक्रिया धीमी पड़ने की वजह से उनका वजन बढ़ जाता है। उनको अपने मौजूदा वजन को बनाए रखने के लिए कम खाने और अधिक व्यायाम करने की आवश्यकता हो सकती है।

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